युद्ध के लिए सदैव तत्पर रहो- प्रवीण गुगनानी.......
आदि शंकराचार्य का यह संदेश वर्तमान परिदृश्य मे अनुकरणीय है.
"युद्धाय कृत निश्चय:" अर्थात युद्ध के लिए सदैव दृढ़ संकल्पित रहो. यह युद्ध चाहे धर्म की रक्षा के लिए हो या संस्कृति की रक्षा के लिए. चाहे मर्यादा की रक्षा के लिए हो या राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा के लिए. ... हमे सदैव तत्पर रहना चाहिए." यह विचार जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम मे उनके द्वारा दिए गए इस संदेश की व्याख्या करते हुए प्रसिद्ध लेखक , चिंतक एवं विचारक प्रवीण गुगनानी ने व्यक्त किए. यह कार्यक्रम जन अभियान परिषद द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम की कक्षाओं मे रविवार को आयोजित किया गया.*
श्री गुगनानी ने युवाओं को आठवी शताब्दी मे आदि शंकराचार्य के जन्म से लेकर उनके द्वैत एवं अद्वैत दर्शन तक के सिद्धातों की विस्तृत जानकारी दी.उन्होने शंकराचार्य जी के जीवन दर्शन के अनेक प्रसंग सुनाए. विश्वप्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के इतिहास की जानकारी देते हुए उन्होंने छात्र छात्राओं को सनातन संस्कृति की अच्छाइयों की जानकारी दी. उन्होने बताया कि वर्तमान परिदृश्य मे हमे राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए सनातन इतिहास को जानने, सीखने और अपनाने की आवश्यकता जताई.*
*कार्यक्रम का शुभारंभ उत्कृष्ट विद्यालय के सभाकक्ष मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व संघचालक दिनेश जी आर्य , संघचालक सुनील जी साठे , मुख्य अतिथि प्रवीण जी गुगनानी एवं विकास खंड समन्वयक राजू मांडवे द्वारा आदिशक्ति माँ सरस्वती एवं आदि शंकराचार्य जी के छायाचित्र के पूजा अर्चना के साथ हुआ. इस अवसर पर बड़ी संख्या मे छात्र छात्राऐं, नवांकुर समितियों के इमलेश बारस्कर,गुरुचरण यादव , तुलसीराम गाड़गे एवं अन्य पदाधिकारी, परामर्शदाता सुमीत आर्य,मदन मालवी, स्वप्निल जैसवाल ,एवं प्रेमलता छारले उपस्थित रहे. कार्यक्रम का सुनियोजित संचालन परामर्शदाता जितेन्द्र निगम ने किया
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