टांडा जोड़ के सिद्धनाथ हनुमान जी की कृपा से सिद्ध होते मनोरथ-
वनराज भी जहाँ लगाते हाजिरी-दर्शन मात्र से टल जाते है -संकट
चिचोली :- (Anand ramdas rathore)
चिचोली तहसील मुख्यलय से 30 किलो मीटर दूर वनाचंल के टांडा ग्राम के निकट श्री-सिद्वनाथ हनुमान मंदिर धार्मिक दृष्टि कोण से महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलो मे शामिल है! वन सम्पदा से सराबोर इस ग्रामीण अंचल के श्री सिद्ध नाथ हनुमान मंदिर मे संकट मोचन के दर्शनो के लिए रोजाना ही श्रृद्वालुओ का आना जाना लगा रहता है। मंदिर के चारो तरफ प्रकृति के सुन्दर नजारे यहॉ दर्शन करने वाले भक्तो को सहज ही आकर्षित करते है!
वन संपदा से घिरे इस मंदिर के बारे मे यहाँ के बुजुर्गों ने बताया कि, कभी यह स्थान बेहद सघन जंगलों से अच्छादित था। इस वन क्षेत्र मे ग्रामीणों की गवाड़ी हुआ करती थी। जिसमे ग्रामीण अपने पालतु पशुओ को रखते थे! साथ ही इस क्षेत्र मे अपने पशुओ चराने का काम भी करते थे! सघन जंगल होने के चलते पशुओ पर जंगल मे विचरण करने वाले हिसक वन्य प्राणीयो हमेशा खतरा भी बना रहता था। जिसके चलते ग्रामीणो को पशुधन की हानि उठानी पड़ती थी। हिसंक वन्यप्राणी गवाड़ी मे बंधे, गाय ,भैसो पर कभी भी हमला कर शिकार बना लेते थे। जिससे ग्रामीण बेहद परेशान रहते थे। ऐसी स्थिति मे ग्रामीणो ने पास ही के गाव टांडा के एक बुर्जग भगत को अपनी समस्या बतलाई! भगत ने ग्रामीणो की समस्या के समाधान का रास्ता निकालते हुए -इस क्षेत्र के एक जलस्त्रोत से एक पथ्थर निकालकर पहाड़ पर ग्रामीणो से छोटा सा मंदिर बनवाकर उस पथ्थर पर सिंदुर लगाकर भगत ने "राम लिखा और श्री सिद्धनाथ हनुमान जी के प्रतिमा को स्थापित किया!
भगवान संकट मोचन श्री हनुमान जी की पथ्थर नुमा मूर्ति की स्थापना के बाद ग्रामीणो को हिसंक वन्यप्राणीयो की गतिविधीयो से मुक्ति मिली! और ग्रामीणो ने श्रीसिद्धनाथ हनुमान मंदिर मे अपनी आस्था प्रकट करते हुए इस मंदिर मे श्रद्धा से पूजा अर्चना प्रारम्भ की! ग्रामीण बताते है कि,इस मंदिर मे यदा कदा वनराज भी हाजिरी देकर सिद्ध नाथ हनुमान जी के दर्शन करते है! जिसके प्रमाण भी यहाँ पर मिलते है।
पूजा करने का यह क्रम सालो से अनवरत जारी है!
समय के साथ यहा पर बहुत से परिवर्तन आये!
पुराने मंदिर की जगह अब भव्य मंदिर का निमार्ण भी हो गया है।
सिद्धनाथ की कृपा से सिद्ध होते मनोरथ,
प्राकृतिक माहौल में स्थापित इस मंदिर में भगवान श्री सिद्धनाथ के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के संकट टल जाते हैं! मान्यता है कि जो कोई भी भक्त इस मंदिर में अपनी मनोकामना लेकर यहॉ पहुचता है। प्रभु श्रीराम के अन्यय भक्त सिद्ध नाथ हनुमान जी उनके मनोरथ को अवश्य पूर्ण करते है!
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